वैसे तो बहुत सारे युद्ध हुए हैं लेकिन इसी को प्रथम विश्व युद्ध क्यों कहा गया। क्योंकि इससे पहले जितने भी युद्ध हुए हैं वह सब अपने क्षेत्र यानी अपने सीमा के अंदर ही लड़े गए थे। यह पहला युद्ध था जब एक साथ कई देशों ने भाग लिया था। यहां तक कि इस युद्ध में 37 देशों ने भाग लिया था। यह युद्ध कब और क्यों हुआ था इसी को विस्तार से समझते हैं-
प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत कहां से हुई थी?
प्रथम विश्व युद्ध दो देश सरबिया और ऑस्ट्रिया के बीच हुई थी। सरबिया के शासक गैबरीले प्रिंसेफ थे और आस्ट्रिया के शासक फ्रेंज जोसेफ थे। फ्रेंज जोसेफ के एक उतराधिकारी फ्रांसिस फर्डिनेंट थे। सरबिया के शासक ने आस्ट्रिया के राजकुमार फर्डिनेंट की हत्या करवा दी। जिससे वहां खलबली मच गई। जगह-जगह विरोध प्रदर्शन होने लगा। लेकिन आस्ट्रिया के शासक ने सरबिया को कुछ नहीं कर सका। क्योंकि आस्ट्रिया सरबिया के मुकाबले में कमजोर था।यह युद्ध यहीं खत्म होने वाला था तब तक जर्मनी ऑस्ट्रिया का साथ देने के लिए आ जाता है। अब आस्ट्रिया के जान में जान आता है। और 28 जुलाई 1914 को आस्ट्रिया सरबिया से युद्ध का ऐलान कर देता है। तब तक रूस सरबिया का साथ हो जाता है जर्मनी रूस का साथ देता देख आस्ट्रिया को बोलता है बेटा तु पीछे आ जा यह लड़ाई जर्मनी और रूस के बीच की लड़ाई है। और यह युद्ध दो बड़े देशों के बीच हो जाता है। देखते ही देखते यह युद्ध विश्वयुद्ध का रूप लेने लगता है क्योंकि इस युद्ध में अमेरिका जापान फ्रांस जर्मनी इटली ब्रिटेन ऑस्ट्रेलिया आदि एक-एक करके जुड़ता गया।
मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र
यह युद्ध पूरी दुनिया को दो भागों में बांट देता है।एक मित्र राष्ट्र और दूसरा धुरी राष्ट्र-
मित्र राष्ट्र -मित्र राष्ट्र में रुस,अमेरिका, इंग्लैंड,फ्रांस, जापान,ब्रिटेन, सरबिया था। मित्र राष्ट्र का नेतृत्व अमेरिका कर रहा था।
धुरी राष्ट्र -धुरी राष्ट्र में जर्मनी, इटली, ऑस्ट्रेलिया, हंगरी, आस्ट्रिया था। धुरी राष्ट्र का नेतृत्व जर्मनी कर रहा था।
देखा जाए तो यह युद्ध जर्मनी की अहंकार की वजह से शुरू हुआ था और एक वक्त ऐसा आया कि जर्मनी यानी धुरी राष्ट्र की हार हो जाती है। यह युद्ध 28 जुलाई 1914 से 11 नवंबर 1918 तक चला था। यह युद्ध वर्साय की संधि के तहत खत्म हुआ था इस युद्ध ने पूरी दुनिया को अर्थव्यवस्था को हिला कर रख दिया था। इसलिए इस युद्ध के बाद जर्मनी पर बहुत सारे पाबंदियां लगा दी थी। यहां तक कि प्रथम विश्व युद्ध में जितने भी नुकसान हुए थे वो सारा खर्चा जर्मनी से लिया गया था।