चुनाव चाहे लोकसभा की हो या विधानसभा की इसके चुनाव तारीख के ऐलान के साथ ही प्रदेश में आचार संहिता लग जाता है। ये आचार संहिता क्या होता है साथ ही इसके क्या दण्ड होते हैं आज हम इसी के बारे में जानेंगे।
आचार संहिता- देश में स्वतंत्र एवं शांति रूप से चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग के द्वारा बनाए गए नियम को ही आचार संहिता कहते हैं। आचार संहिता जिस दिन चुनाव की तारीख का ऐलान होता है उस दिन से लेकर चुनाव का परिणाम आने तक रहता है। आचार संहिता लगने के बाद बहुतों को लगता है कि अब कोई नेता अपनी पार्टी का प्रचार नहीं कर सकता है ये गलत है आचार संहिता लगने के बाद भी नेता अपने पार्टी का प्रचार कर सकता है। बशर्ते पहले प्रशासन से परमिशन लेना पड़ता है।
(1) राज्य और केंद्र सरकार के कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक सरकार के नहीं, बल्कि चुनाव आयोग के कर्मचारी बन कर काम करते हैं।
(2) सरकारी धन का इस्तेमाल किसी ऐसे आयोजन में नहीं किया जा सकता है जिससे किसी विशेष पार्टी या समुदाय को फायदा पहुंचता हो।
(3) सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान,सरकारी बंगला का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता।
(4) किसी भी पार्टी, condidate या समर्थक को रैली करने से पहले प्रशासन से अनुमति लेनी पड़ती है।
(5) किसी भी चुनाव रैली में धर्म या जाति के नाम पर वोट नहीं मांग सकते।
(6) आचार संहिता लगने के बाद किसी भी तरह की कोई सरकारी घोषणा नहीं की जा सकती है.
इस दौरान यदि कोई आचार संहिता का विरोध या अपमान करता है तो उन पर दंडात्मक कार्रवाई की जाती है।