अनुच्छेद 19 कहते हैं कि हर भारतीय नागरिकों के पास शांतिपूर्वक बिना हथियार के एकत्रित होने का अपना मौलिक अधिकार है। इसी मौलिक अधिकार के तहत कोई भी नागरिक सभा, जुलूस, धरना या विरोध प्रदर्शन कर सकता है। लेकिन जब ये मौलिक अधिकार देश की शांति, सुरक्षा या सम्प्रभुता के लिए खतरा बनने लगता है तो इस स्थिति में मौलिक अधिकार पर रोक लगा दी जाती है। धारा 144 इसी पावंदियों में से एक है। ये धारा 144 कब और क्यों लगाए जाते है? इसके क्या सजा है? इन सब के बारे में विस्तार से जानेंगे।
धारा 144 क्या है?
जब किसी शहर या गांव की शांतिपूर्ण व्यवस्था पर खतरा मंडराने लगता है तो उस शहर में धारा 144 लगा दी जाती है। धारा 144 जिला मजिस्ट्रेट या जिलाधिकारी लगाते हैं। धारा 144 जिस शहर में लगाया जाता है उस शहर में 4 या उससे ज्यादा लोग एक साथ इकट्ठा नहीं हो सकते हैं। धारा 144 लागू होने के बाद इंटरनेट सेवाओं को भी उस शहर में बंद कर दी जाती है। साथ ही किसी भी प्रकार के हथियार को भी ले जाने या लाने की पाबंदी होती है। धारा 144 को 2 महीने से ज्यादा समय तक नहीं लगाया जा सकता है। अगर राज्य सरकार को लगता है कि इंसानी जीवन के खतरा टालने या फिर किसी दंगे को टालने के लिए इसकी जरूरत है तो इसकी अवधि को बढ़ाया जा सकता है। लेकिन इस स्थिति में भी धारा 144 लगाने की शुरुआती तारीख से 6 महीने से ज्यादा समय तक नहीं लगाया जा सकता है।
सजा का प्रावधान
इस कानून को तोड़ने पर अधिकतम 3 साल की सजा हो सकती है।