पूरी दुनिया की आबादी का लगभग 25% मुसलमान है। शिया और सुन्नी इस्लाम के दो अलग-अलग पहलू हैं। वैसे तो शिया और सुन्नी कई अलग-अलग पंथों में बंटा हुआ है। जैसे सुन्नी में देवबंदी,बरेलवी,वहाबी और अहले-हदीस हालांकि इसका पांचवां हिस्सा भी है। लेकिन इनमें ज्यादे अंतर नहीं होता है। शिया और सुन्नी विवाद इस्लाम की सबसे पुरानी और घातक लड़ाईयों में से एक है। दोनों ही एक दूसरे को मिटाने को तुले हैं। आखिर शिया और सुन्नी के बीच एक-दूसरे के लिए इतनी नफरत क्यों है? यह विवाद कब से चली आ रही है? साथ ही शिया और सुन्नी में क्या अंतर होता है? आज हम सब के बारे में जानेंगे।
सुन्नी किसे कहते हैं?
सुन्नी मुसलमान खुद को सबसे धर्मनिष्ट यानी इस्लाम के अनुसार चलने वाला और सबसे पारंपरिक शाखा मानते हैं। सुन्नी शब्द अहल-अल-सुन्ना से लिया गया है। जिसका अर्थ होता है परंपरा को मानने वाला। मतलब ऐसी रिवाजों को जो पैगंबर और उसकी करीबियों के प्रति आधारित है। सुन्नी मुसलमान उन सभी पैगंबर(नबी) को मानते हैं जिसका जिक्र कुरान में किया गया है। लेकिन अंतिम पैगंबर मोहम्मद साहब थे यह भी मानते हैं। पैगंबर मुहम्मद साहब के बाद जितने भी पैगंबर(नबी) आए उन सभी को एक साधारण शख्सियत के रूप में मानते हैं। मुस्लिम आबादी में बहुसंख्यक सुननी है। एक अनुमानित आंकड़ा के अनुसार सुन्नी 85% से 90% के बीच है।
शिया किसे कहते हैं?
जब इस्लाम का उदय हो रहा था तब शिया एक राजनीतिक समूह के रूप में था। जिसे शियत-अली यानी अली की पार्टी कहते हैं। शिया का मानना है कि मुसलमानों का नेतृत्व करने का अधिकार सिर्फ अली और उसके वंशज को है।
शिया और सुन्नी के बीच विवाद का कारण-
दरअसल शिया और सुन्नी के बीच विवाद 632 ईस्वी में पैगंबर मोहम्मद साहब के इंतकाल के बाद से हुआ कि इस्लाम का अगला उत्तराधिकारी कौन होगा? कुछ लोगों का मानना था कि पैगंबर मोहम्मद साहब ने अपने चचेरे भाई और दामाद अली को इस्लाम का वारिस बताया है। इसलिए इस्लाम का अगला उत्तराधिकारी हजरत अली को होना चाहिए। जबकि अन्य लोगों का मानना था कि इस्लाम का अगला उत्तराधिकारी पैगंबर मोहम्मद साहब के ससुर यानी अबू-बकर को होना चाहिए। हजरत अली का समर्थन करने वाले शिया जबकि अबू-बकर का समर्थन करने वाले सुन्नी कहलाए। मतलब यह विवाद इस्लाम के उत्तराधिकारी को लेकर हुआ था।
सुन्नी के अनुसार इस्लाम का उत्तराधिकारी निम्न प्रकार से होना चाहिए था-
अबू बकर->उमर सिद्दीक->उस्मान ->हजरत अली
सुन्नी ने इन चारों खलिफा का समर्थन किया जबकि शिया सिर्फ अली को अपना उत्तराधिकारी माना और बाकी तीनों को खलिफा नहीं माना बल्कि उन्हें गैर वाजिब बताया।
शिया और सुन्नी में क्या अंतर होता है?
(1) सुन्नी मुसलमान इस्लाम के लीडर को इमाम कहते हैं। जबकि शिया इसे मुजाहिद कहते हैं।
(2) सुन्नी का मानना था कि इस्लाम का लीडर कोई भी बन सकता है। जबकि शिया के अनुसार इस्लाम का लीडर सिर्फ हजरत अली या उनके वंशज ही बन सकता है।
(3) सुन्नी अपने इमाम की गिनती अबू बकर से करते हैं। जबकि शिया अपने इमाम की गिनती हजरत अली से करते हैं।
(4) सुन्नी का मानना है कि जब कयामत आएंगे तो उससे पहले इमाम अल-मेहंदी का राज होगा। जबकि शिया का मानना है कि इमाम अल-मेहंदी अभी भी मौजूद है और यह कयामत के समय दिखाई देंगे।
(5) सुन्नी के लिए पवित्र स्थान-मक्का,मदीना और जेरूसलम है। जबकि शिया के लिए मक्का,मदीना,जेरूसलम,नजफ और कर्बला है।
(6) सुन्नी मुसलमानों के लिए ईद और बकरीद प्रमुख त्योहार है। जबकि शिया के अनुसार ईद,बकरीद और अशुरा प्रमुख त्योहार है।
(7) सुन्नी पांच वक्त नमाज पढ़ता है। जबकि शिया तीन वक्त ही नमाज पढ़ते हैं।