जिस दिन हमारा संविधान लागू हुआ था उसी दिन से हर भारतीय नागरिकों को मौलिक अधिकार दे दिया गया है। मौलिक अधिकार के तहत कोई भी भारतीय नागरिक कहीं भी, कभी भी घूम फिर सकता है। वह भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा सकता है। अब भारतीय नागरिकों की आवाज को कोई दबा नहीं सकता है। लेकिन मौलिक अधिकार देने का मतलब यह नहीं है कि किसी का भी बुराई करने लगे। इसलिए इस समस्या को दूर करने के लिए मानहानि का प्रावधान किया गया है। ये मानहानि क्या होता है? मानहानि का केस किस-किस पर लगता है? इसके दंड के लिए क्या-क्या प्रावधान है? इन सब के बारे में जानेंगे।
मानहानि केस क्या होता है?
किसी अच्छे इंसान का बिना वजह उसके मान सम्मान को ठेस पहुंचाना ही मानहानि कहलाता है। या सरल भाषा में कहूं तो बिना वजह किसी की बुराई करना मानहानि के दायरे में आता है। मानहानि को IPC(भारतीय दंड संहिता) की धारा 499 के तहत लाया गया है।
मानहानि के लिए दण्ड-
(1)IPC की धारा 500 में कहा गया है कि व्यक्ति को 2 साल साधारण कारावास या जुर्माना या फिर दोनों हो सकता है।
(2)IPC की धारा 501 में कहा गया है कि किसी भी publisher(प्रकाशन) की किताब को बिना इजाजत छापने पर 2 साल सजा या जुर्माना या दोनों हो सकता है।
(3)IPC की धारा 502 में कहा गया है कि किसी भी publisher(प्रकाशन) की किताब को बिना इजाजत बेचने पर 2 साल सजा या जुर्माना या दोनों हो सकता है।
Note- नेता और मीडिया वाले मानहानि के दायरे में नहीं आता है। क्योंकि माना जाता है कि नेता और मीडिया वाले सच्चाई के प्रति सामने वाले की बुराई करता है।