नगर निगम नगरपालिका का ही एक भाग है। जो बड़े शहरों के स्थानीय स्वशासन पर नजर रखती है। तो आज हम नगर निगम क्या होता है? इसका चुनाव कब और कैसे होता है? इसके बारे में विस्तार से जानेंगे।
नगर निगम क्या होता है?
जिस तरह गांव का स्थानीय स्वशासन को संभालने के लिए पंचायत का गठन किया गया है ठीक उसी तरह बड़े बड़े शहरों के स्थानीय स्वशासन को संभालने के लिए नगर निगम को बनाया गया है। यूं समझ लीजिए कि जिसे आप गांव में पंचायत करते हैं उसी को शहरों में नगर निगम कहते हैं। फर्क सिर्फ इतना होता है कि पंचायत के चुनाव में किसी राजनीतिक पार्टी से कोई लेना देना नहीं होता है। जबकि नगर निगम के चुनाव में ऐसा नहीं होता है। नगर निगम का चुनाव राजनीतिक पार्टी से ही लगाव रहता है और इसका चुनाव चिन्ह भी स्थायी रहता है। इसीलिए नगर निगम के चुनाव में राष्ट्रीय पार्टियां भी जितने के लिए खुद को दांव पर लगा देते हैं।
नगर निगम का चुनाव कैसे होता है?
नगर निगम को छोटे-छोटे क्षेत्रों में बांटा गया है जिसे वार्ड या पार्षद कहते हैं। नगर निगम की जनता वार्ड (पार्षद) को ही वोट करता है। और जनता के द्वारा चुने गए वार्ड ही इनके लिए मेयर(महापौर) को चुनते हैं। यानी नगर निगम के प्रत्येक वार्ड का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से होता है जबकि मेयर का चुनाव अप्रत्यक्ष होता है। नगर निगम में सबसे बड़ा पद मेयर(महापौर) का होता है।
नगर निगम के सदस्य की योग्यता -
(1) वह भारत का नागरिक हो।
(2) उसका आयु 21 साल हो।
(3) उस पर किसी तरह का कोई अपराधिक मुकदमा ना चल रहा हो।
(4) वह दिवालिया ना हो।