बजट(Budget) क्या होता है?
पूरे देश में आने वाले साल में किस-किस विभाग में कितना खर्च होगा, कौन-कौन से विकासात्मक कार्य करना है। इन सभी कार्यों के खर्च को एक अनुमान लगाकर संसद में प्रस्तुत करना ही बजट(Budget) कहलाता है।
बजट की चर्चा अनुच्छेद 112 में है। बजट का अर्थ होता है-"चमड़े का थैला"
संविधान में बजट शब्द की चर्चा ही नहीं है। इसके स्थान पर वार्षिक वित्तीय वितरण की चर्चा है। बजट को सबसे पहले लोकसभा में पेश किया जाता है। बजट को प्रस्तुत करने का अधिकार राष्ट्रपति को है। लेकिन यह वित्त मंत्री या किसी अन्य मंत्री से प्रस्तुत करवाते हैं। बजट में केवल इस बात की चर्चा की जाती है कि कौन-कौन से विकासात्मक कार्य करना है। बजट द्वारा धन नहीं निकलता है।
बजट कितने प्रकार के होते हैं?
(1) प्राक्कलन बजट-बजट में किए गए घोषणाओं पर कितना खर्च आएगा। इस खर्च कि प्राक्कलन किया जाता है।
(2) अतिरिक्त/अनुपूरक अनुदान-विनियोग विधेयक द्वारा दिया गया धन महंगाई बढ़ने के कारण कम पड़ जाता है। जिस कारण काम रुक जाता है। अतः काम पूरा करने के लिए अतिरिक्त धन को अतिरिक्त अनुदान नामक विधेयक से लिया जाता है।
Note-
•विनियोग विधेयक-प्राक्कलन में बताए गए धन को निकालने के लिए संसद में विनियोग विधेयक पारित करना होता है। जब तक विनियोग विधेयक पारित ना हो जाए तब तक धन नहीं निकाल सकते। संसद को राष्ट्रीय धन का रक्षक कहते हैं।
(3) लेखानुदान बजट-विनियोग विधेयक पारित करने में सरकार को समय लगता है। अतः सरकार काम जल्दी प्रारंभ करने के लिए लेखानुदान के माध्यम से कुछ Advance पैसा निकाल लेते हैं। कभी-कभी लेखानुदान पारित हो जाता है लेकिन विनियोग विधेयक पारित नहीं होता है। जिस कारण काम अधूरा पड़ जाता है।
•वित्त विधेयक(Finance Bill)-आगामी वर्ष में किया जाने वाला विकासात्मक कार्य को वित्त विधेयक कहते हैं। यह लोकसभा तथा राज्यसभा दोनों में प्रस्तुत करते हैं।