हिंदुस्तान दूसरा ऐसा देश है जहां दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी रहता है और इतने ज्यादे आबादी में एक जाति,धर्म के लोग हो, यह संभव ही नहीं है। और यह हमें बखूबी पता होता है कि सभी धर्मों के अलग-अलग नियम-कानून होते हैं। हद तो तब होने लगता है जब अमीर-गरीब,काले-गोरे में भी भेदभाव होने लगता है। इसलिए देश में इन भेदभावों में समानता लाने के लिए Uniform Civil Code लाया गया।ये Uniform Civil Code क्या होता है? इसके क्या है विवाद के कारण इन सब के बारे में हम विस्तार से जानेंगे।
Uniform Civil Code को हिंदी में समान नागरिक संहिता या समान सिविल संहिता कहते हैं। यह नियम ब्रिटिश हुकूमत 1835 में लाया गया था लेकिन आजादी से पहले यह नियम कभी अपने अस्तित्व में आया ही नहीं। सिर्फ यह एक नियम बन कर रह गया। आजादी के बाद थोड़ा बहुत यह नियम लागू किया गया लेकिन फिर भी अभी तक पूरी तरह से यह नियम लागू नहीं है।
लागू नहीं होने के कारण-
(1) विवाह-विवाह तो सभी धर्म-जाति में लगभग समान ही होता है लेकिन इनके रस्मो-रिवाज अलग-अलग होते हैं। जैसे- हिंदू धर्म में एक शादी का प्रावधान है लेकिन वही इस्लाम धर्म में आप चार शादी कर सकते हैं।
(2) तलाक-हिंदू धर्म में तलाक का कोई प्रावधान नहीं है और ना ही दूसरी शादी कर सकते हैं। इसलिए हिंदू धर्म में तलाक ना के बराबर होता है। वही इस्लाम धर्म में तलाक जब चाहे दे सकते हैं और बिना किसी झिझक के दूसरी शादी भी कर सकते हैं।
(3) वसीयत-हिंदू धर्म में शादी के बाद अगर पति का मृत्यु हो जाए तो उसकी सारी जमीन-जायदाद उसके बच्चे के नाम हो जाता है। अगर बच्चे का जन्म नहीं हुआ है और वह बच्चा अभी पेट में पल रहा है तो फिर भी उसकी सारी संपत्ति उस बच्चे का नाम होगा।वही अगर इस्लाम धर्म की बात करें तो इस्लाम धर्म में पति के मर जाने के बाद उसका सारा संपत्ति उस बच्चे का नाम होगा या नहीं उस बच्चे के दादाजी के इच्छानुसार होगा।
(4)Dress(ड्रेस)-हिंदू धर्म में कपड़े पहनने को लेकर महिलाओं के लिए कोई खास नियम कानून नहीं है। वही इस्लाम धर्म में महिलाओं के लिए बुर्का पहनने का प्रावधान है। यह ज्यादे विवाद में तब होता है जब यह सब एक साथ स्कूल या कॉलेज जाते हैं। क्योंकि स्कूल कॉलेज में सबके लिए फॉर्मल ड्रेस ही होता है।
इसलिए इन्हीं असमानताओं को दूर करने के लिए Uniform Civil Code (यूनिफॉर्म सिविल कोड या समान सिविल संहिता) लाया जा रहा है ताकि सभी के लिए समान नियम कानून बना रहे।