लेकिन आज के दौर में बहुत से लोगों को आंखों में कम दिखाई देने की समस्या होती है। जैसे निकट की वस्तु तो स्पष्ट दिखाई देती है लेकिन दूर की वस्तु दिखाई नहीं देती है या फिर दूर की वस्तु तो स्पष्ट दिखाई देती है लेकिन पास की वस्तु दिखाई नहीं देती है। या बुढ़ापे में कभी कभी ऐसा भी हो जाता है कि ना तो निकट की दिखाई देती है और ना ही दूर की वस्तु दिखाई देती है। तो ऐसे में क्या करना चाहिए?, इसके कारण, लक्षण और निवारण क्या है? इन सब के बारे में विस्तार से जानेंगे।
(1) निकट दृष्टि दोष (Myopia) - इस दृष्टि दोष से पीड़ित लोगों को निकट की वस्तुएं स्पष्ट दिखाई देती है लेकिन दूर की वस्तु दिखाई नहीं देती है।
• कारण -
(a) लेंस की वक्रता त्रिज्या बढ़ जाती है।
(b) फोकस दूरी कम हो जाती है एवं क्षमता बढ़ जाती है।
(c) निकट दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति का अधिकतम बिंदु घट जाता है।
• निवारण - निकट दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति को अवतल लेंस का चश्मा पहनाया जाता है।
(2) दूर दृष्टि दोष (Hyper Metropia) - इस दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति को दूर की वस्तु स्पष्ट दिखाई देती है लेकिन नजदीक की वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती है।
• कारण -
(a) लेंस की वक्रता त्रिज्या कम हो जाती है।
(b) फोकस दूरी अधिक हो जाने से लेंस की क्षमता कम हो जाती है।
(c) दूर दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति का निकट बिंदु 25 से से बढ़ जाती है।
• निवारण - दूर दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति को उत्तल लेंस का चश्मा पहनाया जाता है।
(3) जरा दूर दृष्टि दोष (Pressbiopia) - इसमें ना तो दूर की वस्तु स्पष्ट दिखाई देती है और ना ही निकट की वस्तु।
• कारण - सिलियरी मांसपेशी का कमजोर होना।
• निवारण - इसे दूर करने के लिए Biofocal लेंस का प्रयोग किया जाता है।
(4) अबिंदुकता (Stagmetism) - इसमें कोई दिक्कत नहीं होता है। बल्कि कॉर्निया के ठीक से गोलाकार नहीं रहने के कारण क्षैतिज(Horizontal) रखा हुआ कोई भी वस्तु स्पष्ट दिखाई देती है। लेकिन खड़ा (Vertical) रखा हुआ वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देता है।
• निवारण - इसे दूर करने के लिए बेलनाकर लेंस का प्रयोग किया जाता है।