RH - Factor - इसकी खोज 1940 में लैंड स्टीनर तथा विनर ने किया था। यह एक विशेष प्रकार का Antigen होता है जिसे सबसे पहले रीसस नामक बंदर में देखा गया था। अत: इसे RH कहते हैं। जिसमें यह RH उपस्थित रहता है उसे RH Positive (rh+) कहते हैं तथा जिसमें यह नहीं पाया जाता है उसे RH Negative (rh-) कहते हैं ।भारत में 95% लोग RH- Positive है।
• Blood देते समय सावधानियां
यदि हम RH+ का रक्त, किसी RH- वाले को दे दे तो पहली बार में कुछ नहीं होगा। किंतु दूसरी बार RH+ वाला व्यक्ति की मृत्यु हो जाएगी। क्योंकि इस स्थिति में रक्त (Blood) अधिक चिपचिपा हो जाता है। और रक्त का बहाव प्रभावित हो जाता है। इसलिए इसे रक्त का अभिशलेषण कहते हैं।
यदि पिता का RH+ और माता का RH- है तो इस स्थिति में पहली संतान पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। किंतु उसके बाद की संतान मृत पैदा होगा या पैदा होने के तुरंत बाद मर जाएगा।
• Bombay Blood Group - यह एक विशेष प्रकार का रक्त समूह (Blood Group) है जो 40 लाख लोगों में से किसी एक में पाया जाता है। इसमें Antigen A,B ,O होता है इसकी खोज 1952 में मुंबई में डॉक्टर Y .G वेंडे ने किया था। अत: इसे Bombay Blood Group कहते हैं।